चलो उतारे आरती, माँ भारती की आरती
चलो उतारे आरती, माँ भारती की आरती।
लहर लहर ध्वजा कहे, उमड़ उमड़ लहू कहे।
गंगा स्वयं जिस के है, चरण अदा पखारती।
चलो उतारे आरती, माँ भारती की आरती।।
धर्म का आलोक हो , अधर्म का आलोप हो।
राष्ट्र फिर विराट हो, मानव उत्थान हो।
वेद ग्रंथ फिर लिखे , कोई वेद व्यास हो।
वसुंधरा स्वयं जहाँ, दिव्य रूप धारती।
चलो उतारे आरती, माँ भारती की आरती।।
बुद्ध भी है युद्ध भी है, शुद्ध और क्रुद्ध भी है।
गौतम केशव रुद्र भी है, सृष्टि का स्वरूप भी है।
श्वास श्वास कर रही है, स्वराष्ट्र की आराधना।
विश्व का कल्याण हो, उर मे ये ही भावना।
धारणा यही हमारी , विश्व को सँवारती।
चलो उतारे आरती, माँ भारती की आरती।।
वीर हम शिवा हमी, प्रताप हम भगत हमी।
गाँधी और कलाम भी,आज़ाद है बिस्मिल हमी।
प्रेम से सदा जिन्हें, वसुन्धरा निहारती।
चलो उतारे आरती, माँ भारती की आरती।।
मुकुट सदा सजा रहे ,प्रदेश भी हरा रहे।
शीश धड़ पे हो न हो, ध्वज सदा खड़ा रहे।
ऐसे वीर लालो को ,माँ स्वयं है दुलारती।
चलो उतारे आरती, माँ भारती की आरती।।
Goapl Gupta "Gopal "
Varsha_Upadhyay
07-May-2023 09:19 PM
बहुत खूब
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अदिति झा
07-May-2023 07:26 PM
Nice 👍🏼
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